Not known Factual Statements About Shodashi

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

Goddess is popularly depicted as sitting on the petals of lotus that is definitely retained within the horizontal overall body of Lord Shiva.

अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥

Soon after eleven rosaries on the very first working day of starting With all the Mantra, you may bring down the chanting to one rosary a day and chant eleven rosaries over the eleventh day, on the last day of the chanting.

ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं

You should notify me this sort of yoga which could give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You happen to be the one theologian who can give me the entire awareness With this regard.

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं more info सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

The worship of Goddess Lalita is intricately connected with the pursuit of both worldly pleasures and spiritual emancipation.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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